Nishikant Dubey remarks judiciary Supreme Court no need our nod to file contempt plea petitioner Attorney General

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद निशिकांत दुबे की ओर से सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए गए बयान के बाद अवमानना याचिका दायर करने की मांग पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि इसके लिए बेंच की अनुमति की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को याचिकाकर्ता से कहा कि इसके लिए हमसे नहीं बल्कि अटॉर्नी जनरल से मांग कीजिए.

इस मामले का जिक्र जब जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के समक्ष किया गया. याचिकाकर्ता के वकील ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट और प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की आलोचना करने को लेकर की गई टिप्पणियों का हवाला दिया और कहा कि कोर्ट की अनुमति से अवमानना ​​याचिका दायर करना चाहते हैं.

हमारी अनुमति की जरूरत नहींः SC

जस्टिस गवई ने कहा, “आप इसे दाखिल करें. लेकिन याचिका दायर करने के लिए आपको हमारी अनुमति की जरूरत नहीं है.” बेंच ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को मामले में अटॉर्नी जनरल से मंजूरी लेनी चाहिए.

इससे पहले निशिकांत दुबे ने पिछले हफ्ते शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए. यही नहीं उन्होंने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना पर भी निशाना साधा और उन्हें देश में गृह युद्धों के लिए जिम्मेदार ठहराया.

झारखंड से 4 बार के लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे की यह टिप्पणी केंद्र की ओर से कोर्ट को दिए गए इस आश्वासन के बाद आई है कि वह वक्फ (संशोधन) एक्ट के कुछ विवादास्पद प्रावधानों को सुनवाई की अगली तारीख तक लागू नहीं करेगा. कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान इन प्रावधानों पर सवाल उठाए थे.

अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने की मांग

वक्फ (संशोधन) एक्ट मामले में एक वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को चिट्ठी लिखकर सांसद दुबे के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की सहमति का अनुरोध किया था.

याचिकाकर्ता के अनुसार, बीजेपी नेता ने शीर्ष अदालत की गरिमा को कम करने के उद्देश्य से बेहद निंदनीय टिप्पणी की है. पत्र के अनुसार, “मैं गोड्डा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए आपकी सहमति का अनुरोध करते हुए न्यायालय अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 15 (1) (B) के तहत यह चिट्ठी लिख रहा हूं. इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​के लिए कार्यवाही को विनियमित करने के नियम, 1975 के नियम 3(C) के साथ पढ़ा जाए.”

पत्र के अनुसार, सांसद दुबे ने सार्वजनिक रूप से जो बयान दिए हैं, वे बेहद निंदनीय, भ्रामक हैं और इनका उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और अधिकार को कमतर करना है. हालांकि निशिकांत की पार्टी ने उनके बयान को निजी बयान बताते हुए खुद को अलग कर लिया था. पार्टी के प्रमुख जेपी नड्डा ने इस पर बताया कि उन्होंने पार्टी नेताओं को ऐसी टिप्पणियां नहीं करने का निर्देश दिया है.

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